नागेंद्र गुरूजी

लोका: समस्ताः सुखिनो भवन्तु।

Trimbkeshwar Guruji
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कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर मंदिर – सभी समस्याओं का समाधान

🌟 त्र्यंबकेश्वर – कालसर्प दोष निवारण के लिए सर्वोत्तम स्थान
श्री त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर (श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर) एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, जो महाराष्ट्र के नाशिक जिले के त्र्यंबक स्थान में स्थित है — नाशिक शहर से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह स्थल हिंदू वंशावली पंजीकरण (Genealogy Registers) के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम भी त्र्यंबक के पास ही होता है, जिससे इस स्थान की आध्यात्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे “त्र्यंबक” नाम से जाना जाता है। यह स्थान पवित्र गोदावरी नदी के उद्गम स्थान के पास स्थित है, और यहां की गई पूजा अत्यंत फलदायक मानी जाती है।
जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु (सर्प का मुँह) और केतु (सर्प की पूंछ) के बीच स्थित हो जाते हैं, तब उस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है। यह एक अत्यंत प्रभावशाली और गंभीर ज्योतिषीय दोष माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की नकारात्मक परिस्थितियाँ उत्पन्न कर सकता है। इस दोष से ग्रस्त व्यक्ति को बार-बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है, चाहे वह शिक्षा हो, नौकरी हो, व्यवसाय हो या व्यक्तिगत जीवन। विवाह में देरी या बार-बार टूटने की स्थिति, संतान प्राप्ति में बाधाएँ, आर्थिक हानि, लगातार ऋण में डूबना, और मानसिक तनाव जैसी समस्याएँ जीवन में आ जाती हैं। ऐसे व्यक्ति को कई बार कड़ी मेहनत के बावजूद भी अपेक्षित सफलता नहीं मिलती, और बार-बार विपरीत परिणाम प्राप्त होते हैं।
कालसर्प दोष का प्रभाव केवल बाहरी जीवन तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। व्यक्ति आत्मविश्वास की कमी महसूस करता है, मन में भय, चिंता और अनिश्चितता बनी रहती है। वह हर कार्य में बाधा, अपयश और दुर्भाग्य का अनुभव करता है। समय पर सही निर्णय न ले पाना और बार-बार अवसरों का हाथ से निकल जाना इस दोष के आम प्रभाव हैं। इस दोष से मुक्ति के लिए वैदिक ज्योतिष में विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठानों का उल्लेख है, जिनमें त्र्यंबकेश्वर में की जाने वाली कालसर्प दोष पूजा सबसे प्रभावशाली मानी जाती है।

कुशावर्त कुंड, जो मंदिर परिसर के भीतर स्थित एक पवित्र सरोवर है, को गोदावरी नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। गोदावरी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। इस पवित्र स्थल का निर्माण श्रिमंत सरदार रावसाहेब पारनेरकर, जो कि इंदौर राज्य के फडनवीस (वित्त मंत्री) थे, द्वारा करवाया गया था।
कुंड के किनारे पर सरदार पारनेरकर और उनकी पत्नी की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जो उनकी इस पुण्यकारी सेवा को सम्मान देने हेतु बनाई गई हैं।
वर्तमान समय में जो मंदिर कुंड के चारों ओर स्थित है, उसका निर्माण पेशवा बाजीराव बलाजी (बाळाजी बाजीराव) ने करवाया था, क्योंकि मूल मंदिर संरचना मुगल काल में (वर्तमान के छत्रपति संभाजीनगर) में नष्ट कर दी गई थी।
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कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर – जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली शक्ति
जब जीवन में बार-बार असफलताएँ मिलें, मेहनत के बावजूद सफलता दूर लगने लगे, और हर रास्ता बंद सा महसूस हो, तब समझिए कि यह सिर्फ परिस्थितियाँ नहीं, बल्कि भाग्य पर छाया कालसर्प दोष का प्रभाव हो सकता है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नाशिक के पावन धाम में की जाने वाली कालसर्प दोष पूजा ऐसे हज़ारों लोगों के जीवन में आशा की किरण बन चुकी है। यहाँ भगवान शिव के चरणों में सच्चे मन से की गई यह पूजा न केवल दोषों को शांत करती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और सफलता का मार्ग खोलती है। पवित्र गोदावरी नदी के तट पर स्थित यह मंदिर, आध्यात्मिक ऊर्जा का एक अद्भुत केंद्र है, जहाँ अनुभवी गुरुओं द्वारा की गई विधिवत पूजा, ग्रहों की अशुभता को शांत करती है। यदि आप अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति पाना चाहते हैं और भाग्य का साथ फिर से महसूस करना चाहते हैं, तो त्र्यंबकेश्वर की शरण में आकर कालसर्प दोष निवारण पूजा अवश्य करवाएँ – यह एक नया जीवन शुरू करने की पहली सीढ़ी बन सकती है।
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कालसर्प दोष से होने वाली मुख्य समस्याएँ
कालसर्प दोष के प्रभाव से विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे बार-बार असफलता का सामना करते हैं। एकाग्रता की कमी, स्मरण शक्ति में गिरावट और परीक्षा में अपेक्षित सफलता न मिलना आम समस्याएँ होती हैं।
कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति को बार-बार नौकरी बदलनी पड़ती है या प्रमोशन में रुकावट आती है। व्यवसाय में हानि, योजनाओं में असफलता और आर्थिक अस्थिरता जैसी समस्याएँ सामने आती हैं।
कालसर्प दोष के प्रभाव से विवाह में बार-बार रुकावटें आती हैं या अच्छे रिश्ते बनने के बाद भी टूट जाते हैं। दांपत्य जीवन में तनाव, मतभेद, और तलाक जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
कालसर्प दोष के कारण संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है, जैसे गर्भधारण में कठिनाई या बार-बार गर्भपात होना। संतान के स्वास्थ्य, व्यवहार और शिक्षा में भी समस्याएँ देखी जाती हैं, जिससे परिवार में तनाव बना रहता है।
चाहे व्यक्ति कितना भी मेहनती हो, फिर भी सफलता समय पर नहीं मिलती। हर क्षेत्र में अज्ञात कारणों से रुकावटें आती हैं और व्यक्ति खुद को दूसरों से पीछे पाता है।
कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में भाग्य का साथ नहीं रहता। अच्छे अवसर हाथ में आने के बाद भी छूट जाते हैं और कार्यों में बार-बार विफलता मिलती है, जिससे आत्मविश्वास टूटने लगता है।
मानसिक और भावनात्मक समस्याएँ (Mental & Emotional Issues)
कालसर्प दोष के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में बार-बार दुर्घटनाएँ, अप्रत्याशित घटनाएँ और कानूनी परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। ऐसे व्यक्ति को शत्रु बाधा, बुरी नजर या तंत्र-मंत्र जैसी नकारात्मक ऊर्जा का सामना भी करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को बार-बार बीमारियाँ घेरती हैं, जिनका सही कारण समझ नहीं आता। रोग लम्बे समय तक बने रहते हैं और दवाओं का असर भी धीमा होता है, जिससे व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करता है।
जमीन-जायदाद और संपत्ति विवाद (Property & Legal Disputes)
कालसर्प दोष से व्यक्ति के पारिवारिक रिश्तों में तनाव उत्पन्न होता है। घर में अक्सर झगड़े, मतभेद और अशांति बनी रहती है। माता-पिता, भाई-बहन या जीवनसाथी से संबंधों में दूरी आ सकती है।
कालसर्प दोष के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा कमजोर पड़ जाती है। पूजा-पाठ में मन नहीं लगता, नकारात्मक विचार आते हैं, और अक्सर ऐसा महसूस होता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति विरोध कर रही हो। इससे मानसिक अशांति और जीवन में असंतुलन बना रहता है।
Other Puja’s

Trimbakeshwar Rudrabhishekh
Rudrabhishek is a sacred Vedic ritual offered to Lord Shiva at the holy Trimbakeshwar Jyotirlinga in Nashik. The Shivalinga is bathed with water, milk, honey, and other sacred items while chanting the powerful Rudra Mantras.
Kumbh/ Ark Vivah
Performed for Manglik males, this ritual involves marrying a Mandar (Arka) tree to remove the negative effects of Mangal Dosha. After the ceremony, the tree is discarded, symbolizing the neutralization of harmful planetary effects.


Navagrah Shanti
Navagrah Shanti is a Vedic ritual performed to pacify the nine planetary deities (Sun, Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus, Saturn, Rahu, and Ketu). It balances the effects of malefic planets in one’s horoscope and enhances the power of benefic ones.